The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing
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The murti, which can be also viewed by devotees as ‘Maa Kali’ presides above the temple, and stands in its sanctum sanctorum. Below, she is worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.
The anchor on the right hand displays that the person is concerned together with his Convalescence. If manufactured the Sadhana, will get the self confidence and all of the hindrances and hurdles are taken out and many of the ailments are eradicated the image and that is Bow and arrow in her hand.
॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Within the context of power, Tripura Sundari's beauty is intertwined along with her toughness. She's don't just the image of aesthetic perfection but will also of sovereignty and conquer evil.
Inside the spiritual journey of Hinduism, Goddess Shodashi is revered for a pivotal deity in guiding devotees to Moksha, the ultimate liberation in the cycle of start and Demise.
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
यदक्षरमहासूत्रप्रोतमेतज्जगत्त्रयम् ।
दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां
श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।
प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।
ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और click here वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।